Chhattisgarh
*इधर बादल खोल अभयारण्य में वन विभाग की मिली भगत से अवैध पेड़ कटाई को लेकर कर रहे थे धरना प्रदर्शन उधर अभयारण्य के पेड़ स्वयं जुटा रहे थे जंगल कटाई के सबूत……*
Published
3 years agoon
By
Rakesh Gupta
जशपुरनगर।पिछले 11 वर्षों से जशपुर सरगुजा क्षेत्र में अखिल भारतीय जनजातिय सुरक्षा मंच क्षेत्र के जल जंगल जमीन की रक्षा का दृढ़ संकल्प लेकर आंदोलनरत है।मंच के निष्ठापूर्वक कार्य के कई सुखद परिणाम भी सामने आए हैं चाहे पहाड़ी कोरवाओं की प्रदेश के मंत्री पुत्र के द्वारा की गई फर्जी रजिस्ट्री और बाद में उसे कोरवाओं को वापस करना हो ,अथवा जिले के प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट कर स्टील प्लांट और एथेनॉल प्लांट लगाने का उद्योगपतियों के षड्यंत्र हो मंच ने लगातार इन विषयों को लेकर सड़क पर उतरकर आंदोलन किया। जिसका परिणाम भी सबके सामने है । क्षेत्र में जहां जहाँ भी जल जंगल जमीन से खिलवाड़ करने की बात आई हो मंच ने एकजुट होकर निष्ठापूर्वक उसे मुद्दा बनाकर आंदोलन किया और सफल परिणाम भी आया है ।मंच के इसी कार्य से प्रभावित होकर निरन्तर हजारों की संख्या में लोग जुट रहे हैं।इसका साक्षात प्रमाण यह भी है कि क्षेत्र की जो भी समस्या है चाहे वह व्यक्तिगत हो या सार्वजनिक यदि जिला प्रशासन को शिकायत की जा रही है तो उसकी एक प्रति जनजातिय सुरक्षा मंच के मुखिया गणेश राम भगत को भी देने की परम्परा शुरू हो चुकी है और लोगों को विश्वास भी है कि प्रशासन से पहले मंच उनकी समस्या को निपटाने के प्रयास करता है।मंच के कार्यों को देखते हुए लोग अब मंच के कार्य को ईश्वरीय कार्य मानने लगे हैं और इसका प्रमाण तब देखने को मिला जब 22 फरवरी को मंच के द्वारा बादल खोल अभ्यारण्य के भीतर चल रहे अवैध कटाई से अभ्यारण को हो रहे गम्भीर नुकसान की शिकायत पर वन विभाग के खिलाफ एक दिवसीय धरना प्रदर्शन पर बैठे थे।इसके पूर्व मंच के राष्ट्रीय संयोजक स्वयं अभयारण्य के भीतर जा कर अवैध रूप से काटे गए पेड़ों की ठूंठ पर बैठकर वन विभाग के ज्येष्ठ अधिकारियों को अवैध कटाई की जानकारी दी थी और जांच कर कार्यवाही करने की बात कही थी।लेकिन अभयारण्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने अवैध कटाई के आरोप को सिरे से खारिज किया था जिसके कारण धरना प्रदर्शन का आयोजन किया गया था।लेकिन कहते हैं न कि प्रकृति में भी संवेदनशीलता और प्राण होते हैं ,और यह तब प्रमाणित हो गया जब धरना प्रदर्शन के दौरान ही यह घटना अभयारण्य के भीतर हो गई कि वहां के एक बड़े पेड़ को अवैध रूप से काट रहे दम्पत्ति की पत्नी के ऊपर ही पेड़ आकर गिरा जिससे उसकी पत्नी की मृत्यु हो गई।हालांकि इस घटना से लोग स्तब्ध हैं और मृतक के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं। लेकिन फिर भी इसे महज संयोग कहें या ईश्वरीय कार्य की जिस बात के प्रमाण वन विभाग मांग रहा था प्रकृति ने स्वयं वह प्रमाण सबके सामने ला दिया।इसका दूसरा प्रमाण यह भी सामने आया कि धरना पर बैठने के ही 12 घण्टे पहले वन विभाग के डीएफओ और एसडीओ का तबादला आदेश आ गया।बहरहाल देखना यह है कि अब वन विभाग इस आंदोलन और शिकायतों को किस रूप में लेता है और बादलखोल अभ्यारण्य को बचाने हेतु क्या कदम उठाता है। उक्त घटना पर आक्रोश व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत ने कहा कि अभ्यारण्य के अंदर चल रहे अवैध कटाई का इससे बड़ा प्रमाण क्या मिलेगा ?उन्होंने कहा कि अभयारण्य में पदस्थ वन कर्मी ,वन रक्षक एवम रेंजर को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाना चाहिए ।और यदि ऐसा विभाग नही करता है तो हम वन विभाग के खिलाफ उग्र आंदोलन करेंगे।