हिंदुस्तान में कभी दो स्टेट में डोम राजाओं का अस्तित्व हुआ करता था ।जिनमें एक काशी स्टेट और दूसरा जशपुर स्टेट था ।काशी स्टेट में तो आज भी कहा जाता है कि काशी के दो राजा हैं एक काशी नरेश और एक डोम । डोम राजा का अस्तित्व आज भी है और गंगा तट के किनारे स्थित राजा हरिश्चंद्र घाट में आज भी डोम राजा के वंशज सिंहासन पर बैठते हैं और अंतिम संस्कार के पूर्व शव दहन की अग्नि आज भी डोम राजा के वंशज ही देते हैं और बदले में लेते हैं टैक्स। इसके कारण न केवल काशी में बल्कि देश विदेश से आने वाले सनातन हिंदू धर्मावलंबियों में डोम राजा का सम्मान बना हुआ है ।वहीं दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ प्रदेश के जशपुर स्टेट में आज से लगभग 300 वर्ष पूर्व डोम राजाओं का राज हुआ करता था । मान्यता है कि जशपुर के डोम राजा और काशी के डोम राजा के बीच पारिवारिक सम्बन्ध हुआ करता था ।और जशपुर के डोम राजा का राज्य काशी के डोम राजा के निर्देशानुसार ही चलता था ।आज भी जशपुर में डोम राजाओं के अस्तित्व को लेकर कई प्रमाण देखने को मिलते हैं एक तरफ जशपुर के ग्राम पिलखी में स्थित डुंगुल पहाड़ है जहां कभी डोम राजा का महल हुआ करता था जिसके प्रमाण के रूप में आज भी डुंगुल पहाड़ के नीचे के खेतों में जमीन के अंदर चावल गड़े हुए मिलते हैं। पुरातत्वविद उस चावल की आयु लगभग 300 साल पुराना बताते है जो एक पुरातात्विक धरोहर के रूप में जशपुर में माना जाता है ।वहीं दूसरी तरफ डोम राजाओं की राजधानी नारायणपुर को माना जाता है और आज भी नारायणपुर की पहाड़ी पर डोम राजा के किला का अस्तित्व एवं साक्ष्य देखने को मिलता है। सबसे बड़ा प्रमाण नारायणपुर के रानी कोंबो में डोमराजाओं के काल का जोड़ा नगाड़ा आज भी रखा गया है जिसे ना केवल डोम वंश के लोग बल्कि क्षेत्र के सभी जाति धर्म के लोग आदर और सम्मान के साथ पूजते हैं 300 सालों से भी अधिक समय व्यतीत हो जाने के बाद भी जोड़ा नगाड़ा में आज तक जंग नहीं लगी है ।काफी वर्षों तक यह नगाड़े खुले आसमान के नीचे पड़े हुए थे किंतु कुछ वर्ष पूर्व पंचायत के द्वारा वहां एक सुरक्षा के रूप में चबूतरे का निर्माण किया गया है जिसमें जोड़ा नगाड़ा रखा है। साथ ही उसी स्थल पर कल्लू डोम महाराज की प्रतिमा भी स्थापित है। जहां माघ के महीने में डोम समाज के द्वारा बड़ा आयोजन कर पूजा पाठ किया जाता है एवं अपने जाति के इतिहास को दोहराया जाता है। मान्यता है कि उस जोड़ा नगाड़ा से कोई भी व्यक्ति कुछ भी मन्नत मांगता है तो अवश्य पूरा होता है। जोड़ा नगाड़ा को लेकर के क्षेत्र में कई प्रकार की किवदंतियां भी सुनने को मिलती है कहा जाता है कि जब ईब नदी में बाढ़ आती थी तब यह नगाड़े स्वयं बजकर लोगों को बाढ़ से बचने की सूचना देते थे ।यह भी कहा जाता है कि कभी इस जोड़ा नगाड़े को किसी व्यक्ति के द्वारा चोरी कर लिया गया था जिस पर उसके परिवार में अनिष्ट हुआ और यह नगाड़े स्वयं वापस आकर उसी स्थल पर मिले। ऐसी कई मान्यताएं इस जोड़ा नगाड़े को लेकर कहीं जाती है आज भी जशपुर के ग्राम रानी कोंबो में डोम समाज के द्वारा अपने पूर्वजों की याद में कल्लू डोम महाराज एवं जोड़ा नगाड़ा की पूजा की जाती है ।आज भी रानी कोम्बो में यह पूजा सम्पन्न की जाएगी जिसमें हजारों लोग शामिल होंगे ।