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*देखिये वीडियो..मुख्यमंत्री की घोषणा के 21 महीने बाद भी नहीं बन पाई जशपुर-सन्ना मुख्य सड़क,आखिर कब मिलेगा पिछड़ेपन के अभिशाप से आदिवासी, पहाड़ी कोरवा बाहुल्य नवगठित तहसील सन्ना को मुक्ति…..नेताओं की झूठे हैं वादें और झूठे हैं घोषणाएँ,ग्रामीणों ने कहा अब होगा जनआन्दोलन, तो PWD के इस अधिकारी ने कहा अब तक नही मिल पाई है स्वीकृति…ग्राउंड जीरो ई न्यूज में पढ़ें पूरी खबर….*

जशपुरनगर। विशेष संरक्षित जनजाति पहाड़ी कोरवा का सबसे बड़ा रहवास क्षेत्र सन्ना तक पहुंचना,स्वतंत्रता के 7 दशक के बाद भी मुश्किल भरा साबित हो रहा है। जिला मुख्यालय जशपुर से केवल 52 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस नवगठित तहसील मुख्यालय तक पहुंचने में अब भी 2 घंटे से अधिक का समय लग रहा है। कारण है हर्रापाट से सन्ना तक लगभग 12 किलोमीटर की जर्जर सड़क। इस विवादित सड़क का निर्माण कार्य के लिए प्रदेश सरकार ने वर्ष 2013 में 17 करोड़ रूपए का बजट स्वीकृत किया था। निविदा प्रक्रिया के बाद हर्ष कंस्ट्रक्शन कंपनी को निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। लेकिन निर्माण कार्य में हुई कथित गड़बड़ी के कारण सड़क का निर्माण अधूरा रह गया था। इस पर निविदा को निरस्त कर,सरकार ने नए सिरे से बजट आबंटित करते हुए,वर्ष 2016 में निविदा की प्रक्रिया कर,सड़क का निर्माण पूरा कराया था। लेकिन इन सारे विवाद और कार्रवाई के बाद भी 52 किलोमीटर की सड़क का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है। इस मामले में सबसे आश्चर्यजनक बात है कि इस 11 किलोमीटर के सड़क के निर्माण के लिए प्रदेश के दो मुख्यमंत्रियों ने अलग से बजट आबंटित करने की घोषणा कर चुके है। इसके बाद भी शासन में इसका प्रस्ताव लटका हुआ है। वर्ष 2016 में पहाड़ी कोरवा लंबू राम की मौत की घटना के बाद पंड्रापाठ दौरे पर पहुंचें तात्कालिन मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने इस सड़क निर्माण कार्य के लिए अलग से राशि जारी करने की घोषणा की थी। लेकिन 2018 में विधानसभा चुनाव और सत्ता परिवर्तन से पहले तक उनकी यह घोषणा,कागज से बाहर नहीं निकल पाई। वहीं 2020 के दिसम्बर माह में भेंट मुलाकात कार्यक्रम के तहत जशपुर पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी इस अधूरे सड़क के निर्माण कार्य को पूरा कराने की घोषणा की है। लेकिन मुख्यमंत्री की यह घोषणा अब भी पूरी नहीं हो सकी है। इस विवादित सड़क के संबंध में जब ग्राउंड जीरो न्यूज ने लोक निर्माण विभाग के ईई सीएस कोमरे से बात की। उन्होनें बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की घोषणा के अनुरूप इस 11 किलोमीटर सड़क का निर्माण कार्य पूरा करने के लिए 11 करोड़ रूपए का प्राक्कलन रिपोर्ट तैयार कर,स्वीकृति के लिए शासन के पास भेजा गया है। उन्होनें बताया कि प्रस्ताव को अब तक स्वीकृति नहीं मिल पाई है। इसकी प्रक्रिया चल रही है। ईई कोमरे का कहना है कि इस साल नवबंर तक बजट स्वीकृति और निविदा की प्रक्रिया पूरी कर,सड़क निर्माण कार्य शुरू हो जाने की संभावना है।

वहीं आपको बता दें कि सन्ना जशपुर मुख्य मार्ग के खस्ताहाल को देख कर अब सन्ना,सरईटोली,दबदरा, सोनक्यारी जैसे गांव के भी ग्रामीणों में काफी रोष दिख रहा है।वहीं अब इससे परेशान हो कर ग्रामीणों ने के द्वारा सरकार के खिलाफ आन्दोलन करने की बात कही जा रही है।बहरहाल अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिर इस अति पिछड़े क्षेत्र को सुधारने में वर्तमान कांग्रेस सरकार के नेता,विधायक,मंत्री कहाँ तक कार्य करते हैं..?

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