Chhattisgarh
*Big breaking:- डीलिस्टिंग के डर से ईसाई चर्चों में करमा पर्व मनाने का कर रहे हैं ढोंग ,इससे हमारी धार्मिक आस्था हो रही आहत यदि नहीं माने तो हम ऐसे लोगों के विरुद्ध कोर्ट का खटखाएंगे दरवाजा ……गणेश राम भगत*
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4 weeks agoon
जशपुरनगर। जशपुर के ग्राम तेतर टोली में स्थित सिन गी दई कैली दई हिंदू उरांव भवन में करम पर्व हर्षौल्लास के साथ मनाया गया । उरांव जनजाति में करम पर्व एक महत्वपूर्ण त्यौहार के रूप में मनाया जाता हे इसके लिए समाज के लोगों को वर्ष भर इंतजार रहता है और इसकी तैयारी भी महीने भर से चलती है ,इस त्यौहार में शामिल होने के लिए समाज के लोग दूर दूर से आते हैं। करमा पूजा के लिए छोटी छोटी बहने अपने भाई के सुखी जीवन की कामना करते हुए निर्जला उपवास करती हैं।शाम को करम वृक्ष जिसे हल्दू भी कहा जाता है जिसकी अधिकता के कारण उत्तराखंड में एक शहर का नाम भी हल्द्वानी पड़ा है की डाल काटकर पूजा स्थल जिसे अखरा कहते हैं में लाया जाता है और बैगा के द्वारा अखरा में करम डाल गाड़ा जाता है और धूप धूवन जलाकर करम डाल का पूजन किया जाता हैं इस दौरान व्रती बांस की टोकरी में पूजन सामग्री और अपने घर पर दस दिन पहले उठाए गए ज्वारे को लेकर अखरा में आती हैं जहां पूजा पश्चात बैगा के द्वारा करम कथा सुनाई जाती है । करम कथा के बाद शुरू होता है करम राजा की पारंपरिक करम गीत और नृत्य के साथ रात भर सेवा की जाती है। इस अवसर पर महिलाएं हांथ से हांथ जोड़कर गीत गाती और नृत्य करती हैं वहीं पुरुष वर्ग पारंपरिक मांदर, नगाड़ा बजाकर नृत्य करते हैं।यह नृत्य रात भर चलता है उसके पश्चात सुबह करम डाल को उखाड़ कर शुद्ध जल से स्नान कराकर पास के नदी तालाब में विधिवत विसर्जन किया जाता है ।इस अवसर पर अखिल भारतीय जनजाति सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत सहित उरांव समाज सहित अन्य सैकडो लोग उपस्थित थे।इस अवसर पर पुरखौती अंगना से बातचीत करते हुए गणेश राम भगत ने कहा कि करम पर्व उरांव समाज का सबसे पवित्र त्यौहार है जिसमें अखरा में महादेव पार्वती स्वयं किसी न किसी रूप में आते हैं,ईसाई आदिवासियों के द्वारा भी करम पर्व मनाने के संबंध में पूछने पर उन्होंने कहा कि ईसाइयों को अपना त्यौहार मनाना चाहिए उरांव समाज के पवित्र पर्व को मनाने का ढोंग नहीं करना चाहिए,उन्होंने कहा कि ईसाई डीलिस्टिंग के डर से करमा पर्व मनाकर हमारी धार्मिक आस्था को चोंट पहुंचा रहे हैं एक तरफ पादरी कोर्ट में कहते हैं कि हम उरांव समाज की आस्था को चोंट नहीं पहुंचाएंगे वहीं दूसरी तरफ चर्च में करमा पर्व का आयोजन करके हमारी धार्मिक आस्था को चोंट पहुंचा रहे हैं जो हम बर्दाश्त नहीं करेंगे, ऐसे लोगो के विरुद्ध हम फिर एक बार कोर्ट जाएंगे।