Chhattisgarh
*Big Breking jashpur:-अपनी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर छत्तीसगढ़ प्रदेश सहकारी कर्मचारी संघ लामबंद,लंबित मांग पूरी नही होने तक अनिश्चितकालीन आंदोलन,प्रदेश भर के 2058 समितियों में कार्यरत कर्मचारियों ने कलेक्टर को सौपा ज्ञापन,आंदोलन के पहले दिन भटकते दिखे किसान..!*
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2 years agoon
सजन बंजारा की रिपोर्ट –
जशपुरनगर:-छत्तीसगढ़ प्रदेश के 2058 सहकारी समितियों में लगभग 13 हजार कार्यरत कर्मचारियों ने अपनी तीन सूत्रीय लंबित मांगो को लेकर पूर्ति नहीं होने तक अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दिया है।
छत्तीसगढ़ के 2058 समितियों में कार्यरत कर्मचारियों ने अपने अपने जिले के कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौपकर मांग पूरी होने तक आंदोलन करने ज्ञापन सौपा है।
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी संघ रायपुर के पंजीयन क्रमांक 122202124364 प्रदेश संघठन की ओर से यह आव्हान किया गया है।संघठन ने प्रदेश सरकार से अपने दिये ज्ञापन में कहा है कि छत्तीसगढ़ प्रदेश की 2058 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के माध्यम से छत्तीसगढ़ शासन की महत्वपूर्ण जनकल्याणकारी योजनाओं का संचालन कर रही है।जिसमें समर्थन मूल्य में धान की खरीदी,सार्वजनिक वितरण प्रणाली,खाद बीज,के.सी.सी. ऋण वितरण,वर्मी खाद सहित अन्य शासकीय योजनाओं का सफल संचालन शत प्रतिशत की सेवा की जा रही है।
संगठन ने कहा है कि प्रदेश भर के 2058 सहकारी समितियां सहकारिता की रीढ़ की हड्डी व प्रथम सीढ़ी बताया है.जहां लगभग 13000 कर्मचारी गण सेवारत हैं।समितियों ने कहा है कि सरकार के महत्वाकांक्षी योजनाओं के सफल संचालन के बाद भी खेद व चिंतनीय है कि प्रदेश भर के कार्यरत कर्मचारियों को सम्मान वेतन एवं नियमित व अन्य सुविधाओं से वंचित रखा है।जिससे कर्मचारियों के भविष्य पूर्णतः अंधकारमय है।
अपनी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर संघ ने कहा है कि नियमितीकरण प्रदेश के 2058 कर्मचारियों को किया जाये।दूसरी मांग सहकारी कर्मचारियों की भांति नियमितीकरण कर वेतन प्रदान किया जावे।
तीसरी मांग के रूप में कहा है कि प्रदेश 2058 सहकारी समितियों में कार्यरत कर्मचारियों को बैंक के रिक्त पदों पर समिति के समस्त कर्मचारीयों को संविलियन के माध्यम से किया जावे.प्रदेश के जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में सीधी भर्ती पर रोक लगाई जाये।
*आंदोलन के पहले दिन ही भटकते दिखे किसान..!*
अपनी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर पहले दिन ही हड़ताल पर गये कर्मचारियों के द्वारा आफिस नही खोला गया जिससे आदिम जाति सेवा सहकारी समितियों पर निर्भर किसान खाद,बीज और केसीसी के लिये भटकते नजर आये. मानसून के दस्तक के बाद बड़ी संख्या में किसान अपनी खेतों की ओर आकर्षित है.और वे अपनी खेती के कार्यो में जुट गए हैं. ऐसे में किसानों को बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.सहकारी समितियों का यह आंदोलन लंबा चलता है तो किसानों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा।
सहकारी समिति कर्मचारियों के इस आंदोलन से प्रदेश के 30 लाख किसान परिवार प्रभावित होंगे साथ ही छ.ग. शासन की संचालित संपूर्ण कार्य प्रभावित होगी।