Chhattisgarh
*मुख्यमंत्री विष्णु देव साय भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में हुए शामिल, छेरापहरा की रस्म अदा कर मांगा प्रदेशवासियों के लिए आशीर्वाद…..*
Published
10 months agoon

रायपुर, 07 जुलाई 2024/. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में रविवार को रथयात्रा धूमधाम से मनाया गया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय राजधानी रायपुर के गायत्री नगर स्थित जगन्नाथ मंदिर में आयोजित रथ यात्रा में शामिल हुए। रायपुर के गायत्री नगर स्थित जगन्नाथ मंदिर में विशेष रस्म के साथ रथ यात्रा निकाली गई है। रथ यात्रा शुरू करने से पहले भगवान की प्रतिमा को रथ तक लाया गया और रास्ते को सोने के झाड़ू से साफ भी किया गया । इस रस्म को छेरापहरा रस्म कहा जाता है।
इस मौके पर मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने सभी प्रदेशवासियों को रथयात्रा की बधाई देते हुए कहा कि यह पर्व ओडिशा के लिए जितना बड़ा उत्सव है, उतना ही बड़ा उत्सव छत्तीसगढ़ के लिए भी है। महाप्रभु जगन्नाथ जितने ओडिशा के लोगों को प्रिय हैं, उतने ही छत्तीसगढ़ के लोगों को भी प्रिय हैं, और उनकी जितनी कृपा ओडिशा पर रही है, उतनी ही कृपा छत्तीसगढ़ पर रही है।
श्री साय ने कहा कि भगवान जगन्नाथ किसानों के रक्षक हैं। उन्हीं की कृपा से बारिश होती है। उन्हीं की कृपा से धान की बालियों में दूध भरता है। और उन्हीं की कृपा से किसानों के घर समृद्धि आती है। मैं भगवान जगन्नाथ से प्रार्थना करता हूं कि इस साल भी छत्तीसगढ़ में भरपूर फसल हो। उन्होंने कहा कि भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा से मेरी प्रार्थना है कि वे हम सभी पर अपनी कृपा बनाए रखें और हमें शांति, समृद्धि और खुशहाली की ओर अग्रसर करें।
*मुख्यमंत्री ने सोने के झाड़ू से छेरापहरा की रस्म निभाई*
राजधानी रायपुर के गायत्री मंदिर में पुरी के जगन्नाथ रथ यात्रा की तर्ज पर पुरानी परंपरा निभाई जाती है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने छेरापहरा की रस्म पूरी कर सोने की झाड़ू से बुहारी लगाकर रथ यात्रा की शुरुआत की। इसके बाद मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय प्रभु जगन्नाथ की प्रतिमा को रथ तक लेकर गए।
*ओडिशा के तर्ज पर होती है छत्तीसगढ़ में रथ यात्रा*
रथ यात्रा के लिए भारत में ओडिशा राज्य को जाना जाता है। ओडिशा का पड़ोसी राज्य होने के नाते छत्तीसगढ़ में भी इसका काफी बड़ा प्रभाव है। आज निकाली गई रथयात्रा में प्रभु जगन्नाथ, भैया बलदाऊ और बहन सुभद्रा की खास अंदाज में पूजा-अर्चना की गई। जगन्नाथ मंदिर के पुजारी के अनुसार उत्कल संस्कृति और दक्षिण कोसल की संस्कृति के बीच की यह एक अटूट साझेदारी है। ऐसी मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ का मूल स्थान छत्तीसगढ़ का शिवरीनारायण-तीर्थ है, यहीं से वे जगन्नाथपुरी जाकर स्थापित हुए। शिवरीनारायण में ही त्रेता युग में प्रभु श्रीराम ने माता शबरी के मीठे बेरों को ग्रहण किया था। यहां वर्तमान में नर-नारायण का मंदिर स्थापित है।

You may like
ad

a


*breaking news:- धोखाधड़ी के आठ साल से फ़रार आरोपी बैंक मैनेजर को ढूंढ लाई जशपुर पुलिस, अपने साथियों के साथ मिलकर फर्जी तरीके से ग्रामीणों के नाम पर निकाल लिए थे KCC ऋण…*

*विशाल हृदय चिकित्सा शिविर का आयोजन, छत्तीसगढ़ के विख्यात चिकित्सक के द्वारा होगी जांच, जगदेव राम उरांव कल्याण आश्रम चिकित्सालय में होगा शिविर..!*

*नेशनल हेराल्ड भ्रष्टाचार के विरोध में भाजपाईये ने घेरा कांग्रेस कार्यालय, सोनिया और राहुल गांधी का पुतला फुंक कर की नारेबाजी*
*बिग ब्रेकिंग :- युद्धवीर सिंह जूदेव “छोटू बाबा”,का निधन, छत्तीसगढ़ ने फिर खोया एक बाहुबली, दबंग, बेबाक बोलने वाला नेतृत्व, बेंगलुरु में चल रहा था इलाज, समर्थकों को बड़ा सदमा, कम उम्र में कई बड़ी जिम्मेदारियां के निर्वहन के बाद दुखद अंत से राजनीतिक गलियारे में पसरा मातम, जिला पंचायत सदस्य से विधायक, संसदीय सचिव और बहुजन हिन्दू परिषद के अध्यक्ष के बाद दुनिया को कह दिया अलविदा..*

*बिग ब्रेकिंग:- विदेशी नागरिक को भारत में अनुसूचित जनजाति की भूमि क्रय करने का अधिकार नहीं ,बेल्जियम निवासी एच गिट्स के द्वारा फर्जी ढंग से खरीदी गई भूमि को जनजाति के सदस्य वीरेंद्र लकड़ा को वापस करने का ऐतिहासिक निर्णय कलेक्टर जशपुर डा रवि मित्तल ने सुनाया………..*

*Big Breaking jashpur:-महिला सरपंच की धारदार हथियार से गला रेंतकर हत्या,नहाते समय अज्ञात हमलावरों ने घर के आंगन में दिया घटना को अंजाम,क्षेत्र भर में फैली सनसनी…*
