Chhattisgarh
*सरोकार:-जिले में अधिकारियों ने की सुशिक्षित दिव्यांग से दुर्व्यवहार,कहा तुम्हें नौकरी की जरूरत नहीं, खाओ भीख मांगकर,..100 किलोमीटर दूर से पहुंचा था,पंजीयन कराने,..सरकार के द्वारा दिव्यांगों के लिये चलाई जा रही मुहिम पर,..सामाजिक कार्यकर्ता रामप्रकाश पाण्डेय ने फेसबुक लाइव से किया खुलासा,..पढ़िये ग्राउंडजीरो ई न्यूज की एक्सकुलुसिव रिपोर्ट..!*
Published
2 years agoon
जशपुरनगर:-समय समय पर ग्राउण्ड जीरो ई न्यूज के द्वारा समाज के अंतिम स्तर पर रह रहे लोगों की स्टोरी सामने लाकर सरकार और समाज के बीच सेतु का काम किया जाता रहा है.
इसी क्रम में 30 सितंबर 2022 को सामाजिक कार्यकर्ता रामप्रकाश पाण्डेय के द्वारा अपने फेसबुक लाइव के माध्यम से एक दिव्यांग से की गई चर्चा को हम प्रकाशित कर रहे हैं.जिसमें दिव्यांग रविन्द्र राम के द्वारा कही गई बातें न केवल हमारे लिए बल्कि समाज और सरकार के लिए अत्यंत ह्रदयविदारक है।फेसबुक लाइव के माध्यम से दिव्यांग रविन्द्र राम कलेक्टर कार्यालय जशपुर के सामने सड़क के किनारे जमीन पर बदतर हालत में बैठा हुआ है।
बातचीत के क्रम में रविन्द्र राम के द्वारा बताया गया कि वह जशपुर जिले के पथलगांव तहसील के कुमेकेला गांव का रहने वाला है. और 85% दिव्यांग है।और इसी अवस्था में उसने एग्रीकल्चर विषय से कक्षा बारहवीं उतीर्ण की है।इसके साथ ही उसने शासकीय आईटीआई से कम्प्यूटर का भी प्रशिक्षण लिया है ।और उक्त दस्तावेजों को पंजीयन हेतु जशपुर रोजगार कार्यालय आया था।
जब उनसे पूछा गया कि आपने नौकरी के लिए आवेदन नहीं किया जिस पर रविन्द्र राम का जबाब न केवल ह्रदयविदारक है बल्कि सरकार के मुँह पर तमाचा है जिसमें उन्होंने बताया कि जब वे जिले के अधिकारी के पास नौकरी मांगने गए तब अधिकारियों ने उनसे कहा कि तुम घूम घूमकर मांगकर खाओ तुम्हें कोई भी दे देगा ,जिसका आशय उन्होंने भीख मांगना निकाला और कहा कि मुझे भीख मांगने के लिए कहा गया ।उन्होंने कहा कि जब पढ़लिखकर भीख ही मांगना था तो इस पढ़ाई का क्या औचित्य ?रविन्द्र राम का यह सवाल देश के उन हुक्मरानों से भी है जो आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर आजादी का अमृतमहोत्सव मना रहे हैं लेकिन शायद उनके पास भी रविन्द्र राम के इस यक्ष प्रश्न का कोई जबाब नहीं है।बहरहाल समाज और देश की अव्यवस्था को लेकर रविन्द्र राम के द्वारा कहे गए एक एक शब्द बाण की तरह चुभने जैसा है लेकिन चमड़ी भी उतनी ही कोमल होनी चाहिए लेकिन शायद आजादी के इतने वर्षों के बाद देश के हुक्मरानों की चमड़ी इतनी मोटी हो चुकी है.कि रविन्द्र कुमार जैसे लोगों के शब्द बाण अब किसी को नहीं चुभते और शायद इसी कारण आज देश की स्थिति ऐसी है।वैसे तो देश में रविन्द्र कुमार जैसे लाखों दिव्यांग रोज ऐसी समस्याओं से जूझ रहे हैं लेकिन फिर भी हमें तो उनके शब्द बाण चुभ रहे हैं इसलिए हमने उनके शब्दों को समाज और सरकार के बीच रखने का अपने दायित्व का निर्वहन किया और उम्मीद करते हैं कि प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन के नए मुखिया भी इस ओर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे ।
रविन्द्र कुमार को सुनने के लिए इस लिंक पर जाकर आप भी उनकी पीड़ा सुन सकते हैं।
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=630819468665230&id=100002541547159