Jashpur
*Exclusive news:- टांगीनाथ धाम के खंडित त्रिशूल का आखिर क्या था राज?किस स्थान पर मिला सौ साल पहले गायब हुआ त्रिशूल का अग्र भाग? जहां था खंडित त्रिशूल का भाग वहां अब क्या होगा??जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर…*
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4 months agoon
जशपुरनगर। जशपुर जिले की सीमा से लगे झारखंड के डुमरी प्रखंड स्थित स्थित टांगीनाथ धाम परिसर में त्रिशूल के खंडित भाग को मूल स्थान पर रविवार को स्थापित किया गया. जिले के सन्ना के डाकईभट्ठा गांव से त्रिशूल के खंडित भाग को लाया गया था। जिसके बाद विधि विधान के साथ खंडित भाग की स्थापना की गयी।
ऐसा माना जाता है कि करीब सौ साल पहले टांगीनाथ धाम परिसर से साधना के लिए त्रिशूल के अग्र भाग को कोई भक्त काटकर ले गया था. टांगीनाथ धाम के मुख्य पुजारी रामकृपाल बैगा ने बताया कि जशपुर के सन्ना कोटापाठ के पास स्थित डाकईभट्ठा गांव में एक बेर पेड़ के नीचे त्रिशूल का अग्र भाग मिला। उन्होंने बताया कि करीब ढाई साल पहले किसी व्यक्ति ने फेसबुक में त्रिशूल के अवशेष को पोस्ट कर लिखा था कि यह तस्वीर छत्तीसगढ़ के एक गांव की है. उसके बाद टांगीनाथ धाम समिति के लोग उसकी तलाश में जुट गये. इसी क्रम में उन्हें पता चला कि जशपुर के डाकईभट्टा गांव में बेर पेड़ के नीचे त्रिशूल का अग्र भाग गड़ा हुआ है.
*पेड़ के नीचे बनेगा मंदिर*
जानकारी के मुताबिक दो वर्ष पहले डाकईभट्ठा गांव में ग्रामीणों ने बैठक की थी. इसमें त्रिशूल के अग्र भाग को टांगीनाथ धाम परिसर ले जाने पर सहमति बनी थी. इसके बदले में टांगीनाथ धाम समिति ने कहा कि जिस पेड़ के नीचे त्रिशूल का अग्र भाग था, वहां मंदिर बनाया जायेगा, मंदिर निर्माण में जो खर्च आएगा उसे आधा सन्ना क्षेत्र के लोग और आधा खर्च टांगीनाथ धाम विकास समिति की ओर से वहन किया जाएगा। इसके बाद त्रिशूल के अग्र भाग को सन्ना क्षेत्र के लोगों ने टांगीनाथ धाम समिति को शुभ मुहूत में देने का निर्णय लिया था।
*निकली कलश यात्रा, हुआ अखंड कीर्तन*
टांगीनाथ धाम विकास समिति के तत्वावधान में बाबा टांगीनाथ धाम परिसर में रविवार को कलश यात्रा के साथ 24 घंटे का अखंड हरिकीर्तन शुरू किया गया. रविवार को प्रात: आठ बजे बासा नदी डांड़टोली से सैकड़ों की संख्या में महिला श्रद्धालु विधि विधान के साथ जल उठाकर बाबा टांगीनाथ धाम पहुंचे. जहां मुख्य शिव मंदिर में जलाभिषेक किया गया. उसके बाद मुख्य मंदिर में त्रिशूल के अवशेष का रुद्राभिषेक कर उनके मूल स्थान पर स्थापित किया गया. उसके पश्चात 24 घंटे के अखंड हरिकीर्तन की शुरुआत की गयी. श्री श्री 108 श्री कृष्ण चैतन्य ब्रह्मचारी महाराज ने श्रद्धालुओं से कहा कि आज के समय की मांग है कि हम सभी हिंदुओं को एकजुट होना होगा. हिंदुओं की एकजुटता से ही भारत का भविष्य और भावी पीढ़ी का उत्थान होगा।