Jashpur
*राजी-पड़हा आदिवासी समाज द्वारा आयोजित कार्तिक जतरा महोत्सव भादू ग्राम में फिर उमड़ा जिले भर के उराँव समाज का जन सैलाब,जशपुर विधायक विनय भगत रहें मुख्य अतिथि,झारखण्ड से भी पहुंचे अतिथि और आदिवासियों के अगुवा नेता स्व.कार्तिक उराँव और भीखराम भगत को लेकर कह दिया इतना बड़ा बात,….ग्राउंड जीरो न्यूज में पढ़ें जनसैलाब का यह अनोखा भीड़ में अतिथियों द्वारा किया गया सम्बोधन में मुख्य बातें*
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2 years agoon
जशपुर/सन्ना(राकेश गुप्ता की रिपोर्ट):- जशपुर जिले के भादू ग्राम में राजी पड़हा भारत के तत्वाधान में कार्तिक जतरा महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया।जिसमें जिले भर के उराँव आदिवासी समाज के हजारों लोग जुटे।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जशपुर विधायक विनय कुमार भगत,विशिष्ट अथिति में मनोरा जनपद के उपाध्यक्ष संजू भगत,झारखण्ड राज्य के हमारे पड़ोसी जिला खुद्दी भगत दुखी भी कार्यक्रम में मुख्य रूप से पहुंचे।
वहीं कार्यक्रम में सम्बोधन देते हुए विधायक विनय भगत ने कहा कि मैं समाज सेवा के लिए आया हूँ,समाज को मेरी जरूरत महसूस हो तो मुझे याद कीजियेगा हर सम्भव मैं आपकी मदद करूँगा।वहीं उन्होंने वहां मौजूद जनसैलाब में सभी 125 गांव से आये हुए नाच टीम को दस-दस हजार रुपये देने की घोषणा भी किया।वहीँ भादू गांव में आदि पड़हा समाज द्वारा संचालित स्कूल के लिए एक लाख रुपये देने की घोषणा किया।विधायक विनय भगत ने कहा कि समाज को मेरे रहते चिंता करने की कोई आवश्यकता नही है,मैं पूर्व के विधयकों की तरह सिर्फ घोषण नही करता बल्कि जो बोलता हूं वह करता हूँ।
वहीं इस कार्यक्रम को झारखण्ड गुमला से पहुंचे खुदी भगत दुखी ने भी सम्बोधित किया और सभा को सम्बोधित करते हुऐ कहा कि आदिवासी शब्द में से वासी हटा देंगे तो आदि बचेगा और यही हमारा आदि धर्म है।उन्होंने आगे कहा कि पड़हा समाज को इसी तरह मिल कर आगे बढ़ाना है यही हमारा एकता है।उन्होंने अपने सम्बोधन में यह भी कहा की कुछ गलतियों के कारण हमारा समाज पिछड़ रहा है जिसको भी ठीक करना है।वहीं उन्होंने यह भी कहा कि हमारे आदिवासी के अगुवा नेता कार्तिक उराँव और सुखराम भगत दोनों ही अलग अलग खेमे में कार्य करते थे जिसके कारण पड़हा समाज कुछ दिन के लिए विलुप्त हो गया था लेकिन जब से मैं आया हूँ तब से समाज खड़ा हो चुका है। उनके सम्बोधन में सबसे खास बात यह रहा कि उन्होंने उस आदिवासी समाज के जनसैलाब को कहा कि जे नाची वही बेची।इसका मतलब साफ था कि सांस्कृतिक की रक्षा करने वाला ही असली आदिवासी है।उस पूरे कार्यक्रम का संचालन दिलकुमार भगत ने किया।वहीं कार्यक्रम में बहुत से पड़हा समाज के कार्यकर्ता मौजूद थे।