Chhattisgarh
(राष्ट्रीय बालिका दिवस विशेष) नैनों की शोभा काजल ,धरती की शोभा बादल, घर की शोभा है बेटीयां,ये सत्य है बेटियां तो भाग्य वालों को ही मिलती हैं। पर गैर कहाँ होती हैं बेटियां, सहगल -रफी-किशोर -मुकेश और मन्ना दा के दीवानों! बेटी नही बचाओगे तो लता कहाँ से लाओगे..?
Published
3 years agoon
By
Rakesh Gupta
【मुकेश नायक सिंगीबहार】
ये सत्य है, बेटियां तो भाग्य वालों को ही मिलती हैं। प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक जब जब बेटियों को मौका मिला है, उन्होंने अपनी वीरता और कौशल की अनूठी मिसाल कायम की है। गार्गी की विद्वता, लक्ष्मीबाई का साहस और ना जाने कितने ही देवी तुल्य बेटियों ने इस धरा को पावन किया है। वर्तमान में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां पर हमारी बेटियां अपने अदम्य साहस, बुद्धि, कौशल एवं कर्मठता से अपना परचम नहीं लहरा रही हैं। भारत की हर एक बेटी के लिए प्रत्येक वर्ष 24 जनवरी के दिन को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह उत्सव देश में लड़कियों को अधिक समर्थन व नए प्रगतिशील अवसरों को प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू किया गया। इसके साथ ही भारत में आज भी बेटियों के प्रति जो असामानता की भावना व्याप्त है, उस भावना को समाप्त करने के लिए जागरूक किया जाता है।
भारतीय समाज एक रूढ़िवादी समाज है हालांकि अनेक समाज सुधारकों के अथक प्रयास से इसमें काफी परिवर्तन आया है मगर अभी भी भारत के कई कोने ऐसे है जहां बालक और बालिका में भेदभाव किया जाता है, इन भावनाओं के नाश के लिए, बालिका शिशु को उसका अधिकार दिलाने के लिए तथा लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए प्रतिवर्ष 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस मनाया जाता है। राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस देश के सभी राज्यों में प्रतिवर्ष 24 जनवरी को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य बालिका शिशु को नए अवसर दिलाना तथा इस विषय में लोगों की सोच बदलना है। इस दिन समाज सुधारक,जनप्रतिनिधि पार्टी विशेष नेता , NGO तथा अन्य सज्जन लोग बालक तथा बालिका में व्याप्त भेद को मिटाने की शपथ लेते हैं। इस दिन राज्यों को बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं अभियान में उत्कृष्ट कार्य के लिए पुरस्कार भी दिया जाता आ रहा है।इस दिन समाज के लोगों को बालिका शिशु के महत्व के बारे में जागरूक किया जाता है। राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस के माध्यम में से भारत सरकार लिंगानुपात को सुधारने का भी प्रयास कर रही है। इस दिन बालिका शिशु के स्वास्थ्य, शिक्षा, सम्मान, पोषण तथा अन्य कई मुद्दों पर चर्चा किया जाता है। देश सहित राज्यों के विकास के लिए यह जरूरी है कि हर बालिका को उसका अधिकार मिले तथा लिंग समानता को भी प्रचारित किया जाए।देश सहित सभी राज्यों की तमाम महिलाएं इस दिन के कार्यक्रम में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेती है ताकि लड़कियों को सशक्त, सुरक्षित तथा बेहतर माहौल प्रदान किया जा सके। इस दिन लोग समाज में व्याप्त दहेज प्रथा, भ्रूण हत्या, बाल विवाह जैसे अनेक मुद्दों से लड़ने का प्रण करते हैं। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ