*अस्पताल प्रबंधक पर लगा गम्भीर आरोप,एक पांच माह के बच्चे के पिता ने वीडियो वायरल करके कहा समय पर मिलता इलाज तो बच जाता मेरा बच्चा,कारुणिक रुदन के साथ पिता ने की शिकायत,रात भर इलाज के लिए तड़पता रहा परन्तु…वहीं BMO ने कहा बच्चे को किया गया था रिफर परन्तु एम्बुलेंस..बड़ा सवाल क्या सरकार के दावें ढ़कोसली…?देखिये वीडियो।*

जशपुर,सन्ना:- जशपुर जिले के अंदर इन दिनों स्वास्थ्य विभाग काफी विवादों से घिरा हुआ दिख रहा है।जिले का स्वास्थ्य विभाग कभी करोड़ों रुपये घोटाला करते देखा जाता है तो कभी ऐसी लापरवाही जिससे कइयों की जान चली जाती है।ठीक ऐसा ही मामला जिले के सन्ना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से निकल कर आ रही है।जिसमें मरंगीपाठ के सन्तोष यादव नामक व्यक्ति ने अपनी वीडियो वायरल करते हुए बताता है कि उसकी 5 माह के बच्चे को बीते रात अचानक उल्टी होने पर 10 बजे रात में सन्ना के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लाया था और बहुत मशक्कत के बाद हॉस्पिटल के कर्मचारियों ने दरबाजा खोल कर बच्चे को देखने आये जिसमें शर्मा और वहां मौजूद स्टॉप नर्स थी परन्तु कोई भी डॉक्टर वहां नही था और मेरे बच्चे को बिना चेक किये ही रात में रिफर का कागज बना दिया गया।कोई भी बच्चे को इलाज के नाम पर छुआ तक नही और रिफर का कागज बनने के बाद वहां एम्बुलेंस का करीब तीन घण्टे तक इंतजार किया परन्तु एम्बुलेंश भी नही आई और बच्चे का अंत मे मौत हो गया।अगर समय पर डॉक्टरों ने इलाज किया होता या समय पर एम्बुलेंश मिल गयी होती तो शायद मेरे बच्चे की जान बच गयी होती।

अब हम आपको बता दें कि इस मामले में जब हमने सन्ना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों और कर्मचारियों से बात करना चाहा तो कोई भी कुछ कहने से बचता दिखा,हमे तभी आभास हो गयी कि जरूर इस मामले में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही है।तभी हमने स्वास्थ्य विभाग के BMO डॉक्टर जयंत भगत से मामले की जानकारी मांगी तो उन्होंने साफ शब्दों में बताया कि बच्चे को रात में अस्पताल लाया गया था बच्चा थोड़ा क्रिटिकल कंडीशन में था।जिसके बाद बच्चे को रिफर किया गया था । परन्तु गौरमेंट की एम्बुलेंश समय पर नही पहुंची।

अब लगभग पांच माह के बच्चे के पिता का आरोप में सच्चाई झलकने लगा था।तीन घण्टे तक एम्बुलेंश नही पहुंची अगर पहुंच जाती तो सन्ना से जिला अस्पताल जशपुर एक घण्टे का रास्ता है।वहीं अगर अम्बिकापुर जिला अस्पताल की बात करें तो वहां भी दो घण्टे पहुंचा जा सकता है।अब बड़ा सवाल यहां यह उठता है कि आखिर केंद्र और राज्य की सरकारें स्वास्थ्य विभाग पर लाख दावें करती है तो इस 5 माह के माशूम बच्चे की मौत आखिर कैसे हो गयी और जो आरोप पिता ने लगाया है उसके बाद क्या उस पिता को उसकी मासूम बच्चे को सरकार वापस कर सकती है?नही कोई भी बच्चे को वापस तो नही कर सकता परन्तु यह बात इस कारण उठती है क्योंकि इसी जिले के स्वास्थ्य विभाग में करीब 12 करोड़ रुपये का घोटाला का पर्दाफास प्रशासन ने खुद किया था।परन्तु ऐसे लापरवाहों पर उचित कार्यवाही नही होना ही सवालों को जन्म देती है।वहीं बड़ी बात आपको यह भी बता दें कि सन्ना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कई दिनों से दो दो एम्बुलेंस खराब हो कर खड़ी पड़ी है।जिसका नतीजा भी एक 5 माह के बच्चे को जान दे कर चुंकाना पड़ा है।बताया यह भी जाता है कि सन्ना स्वास्थ्य केंद्र 2008 से पहले तक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की दर्जा में आता था तब यहां उचित मात्रा में दवा और डॉक्टर हुआ करते थे परन्तु 2008 के बाद इसी सन्ना को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की दर्जा को हटा कर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बना दिया गया।जिसके बाद से अब तक यहां की व्यवस्था कुछ इसी तरह चरमराई हुई रहती है।जिसे लेकर धीरे धीरे ग्रामीणों में भी रोष पनपता हुआ दिख रहा है,इन्ही कारणों का नतीजा था कि बीते भाजपा सरकार के विधायकों को जशपुर विधानसभा से हाथ धोना पड़ गया था। कहीं इसका नुकसान आने वाले चुनाव में वर्तमान कांग्रेस सरकार को भी ना चुकाना पड़ जाये..?हालांकि जो भी हो पर ऐसे लापरवाह स्वास्थ्य विभाग पर कड़ी कार्यवाही की जरूरत नजर आती है।

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