जशपुर/बगीचा/सन्ना- बीते साल सितंबर में जिला मुख्यालय जशपुर नगर में जिला प्रशासन के द्वारा डीएमएफ मद की राशि से व राजीव गांधी शिक्षा मिशन के माध्यम से संचालित समर्थ दिव्यांग आवासीय प्रशिक्षण केंद्र में दिव्यांग बच्चियों के साथ हुए अनाचार व दैहिक शोषण का मामला अब और अधिक तूल पकड़ रहा है। इस केन्द्र का संचालन पिछले लगभग 05 वर्षों से किया जा रहा है। मामले में प्रशासन की लीपापोती कार्रवाई से बच्चियों के परिजन नाराज हैं। सभी आरोपियों पर कानूनी कार्रवाई नहीं होने के विरोध में परिजन ने आज मंगलवार को एक दिनी धरना प्रदर्शन किया। जिसमें पूर्व मंत्री गणेश राम भगत भी पहुंचे। उन्होंने प्रशासन पर बेहद गम्भीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार की सहमति से ही जिला प्रशासन बाकी आरोपियों को बचाने का प्रयास कर रहा है।
धरना के बाद परिजन ने ज्ञापन भी सौंपा।
ज्ञापन में उन्होंने कहा कि इस संस्था में नाबालिक दिव्यांग छात्राओं को छात्रावास में रखकर प्रशिक्षण दिया जाता है । किन्तु उक्त संस्था के संबंध में नाबालिक बच्चियों के लिए कार्य कर रही संस्था चाईल्ड लाईन एवं बाल कल्याण समिति को घटना के बारे में किसी प्रकार की कोई सूचना भी नहीं दी गई थी और न ही चाईल्ड लाईन एवं बाल कल्याण समिति के द्वारा उक्त संस्था में कभी कोई दौरा ही किया गया था। यह गम्भीर लापरवाही है जिस संबंध में जिला प्रशासन के द्वारा आज तक कोई भी कार्यवाही नहीं की गई है। इस संस्था का संचालन राजीव गांधी शिक्षा मिशन के जिला मिशन समन्वयक के अधीन किया जा रहा था। पर उनके द्वारा कभी भी संस्था का निरीक्षण नहीं किया गया, बल्कि दिनांक 22 सितंबर 2021 को भी घटना को जान बुझकर छिपाने का प्रयास किया गया है। इस संबंध में पुलिस के द्वारा जब डीएमसी से पूछताछ का गई थी, तो उनके द्वारा पुलिस को एक नोटशीट सूचना क्रं 0 16 के रूप में दी गई है। इस सूचना में डीएमसी के द्वारा यह लिखा गया है कि दिनांक 23.09.2021 एवं 24.09.2021 को विभागीय समीक्षा बैठक आयोजित है। मेरे वापसी तक कार्यालय का सामान्य प्रभार भी श्री अम्बष्ट सहायक कार्यक्रम समन्वयक की ओर रहेगा। जिसमें दिनांक 23.06.2021 की तिथि कूटरचना कर 23.09.2021 अंकित की गई है। इस सूचना क्रं ० 16 में दिनांक 22 . 09.2021 को कूटरचना कर 23.09.2021 किसके द्वारा और किस उददेश्य से किया गया, इस संबंध में पुलिस के द्वारा कोई जांच नहीं की गई है। जो एक गंभीर लापरवाही है। घटना के पश्चात राज्य सरकार के द्वारा तत्कालीन कलेक्टर महादेव कावरे, एसडीएम ज्योति बबली कुजूर व श्री अम्बष्ट को स्थानांतरित किया गया। डीएमसी सी विनोद पैंकरा , राजेश अम्बष्ट सहित संजय राम , यशोदा सिदार सहित अन्य कर्मचारियों को निलंबित किया गया था। पर प्रकरण की जांच एवं विचारण के दौरान ही विनोद पैंकरा एवं राजेश अम्बष्ट , का विलबंन समाप्त कर उन्हें पुनः उसी पद पर बहाल किया गया है। जिसको लेकर न केवल पीड़िता परिवार बल्कि पुरे जिले में आश्चर्य सहित शंका व्यक्त की जा रही है कि आखिर उन्हें किस आधार पर बहाल किया गया। इसके अतिरिक्त अन्य कर्मचारियों जो शंका की दृष्टि से देखे जा रहे थे उन्हें फिर से उसी बालिका प्रशिक्षण केन्द्र मे वापस पदस्थ करने से कई प्रकार की शंकाये जन्म ले रही हैं। इस घटना के संबंध में सिटी कोतवाली जशपुर के द्वारा अपराध क्रं ० 227 / 2021 धारा -363 , 342 , 376 , ( 2 ) ( एल ) 366 क , 3761 , 450 , 34 द ० भ ० सं ० धारा -3 ( 2 ) ( 5 ) अनुसूचित जनजाति अत्याचार अधिनियम एवं धारा : 5 , 6 , 9 , 10 , पोक्सो एक्ट तथा अपराध क्रं ० 228/2021 धारा 363 , 354 , क , ख , 457 , 34 , एवं 8 एवं 10 पोक्सो एक्ट , एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार अधिनियम के तहत अपराध पंजीबद्ध कर अभियोग पत्र विशेष न्यायालय जशपुर में प्रस्तुत किया गया है। किन्तु इस अभियोग पत्र में पुलिस के द्वारा घटना के साक्ष्य छिपाने, पोक्सो अधिनियम के तहत धाराएं नहीं लगाई गईं है।नाबालिग पीड़िताओं की उनके परिजन की अनुस्थिति में की गई। शेष पीड़िताओं के द्वारा अपने ब्यान में यह बताया गया है कि आरोपीगण के द्वारा उसके साथ गलत काम करने का प्रयास किया गया। उसके बावजूद पुलिस के द्वारा इस संबंध में धाराएं नहीं लगाई। जो एक गंभीर लापरवाही है। परिजन का कहना है कि दिव्यांग ( मुक बधिर ) पीड़िताओं के द्वारा अपने पालकों को कई बाते इशारे में बताई गई है । जिसमें उनके द्वारा न केवल उक्त दिनांक के पूर्व भी घटना होने के बात बताई गई है। पर जिला प्रशासन के दबाव के कारण संस्था में ही पदस्थ द्विभाषीय शिक्षिका अराधना कुजूर के द्वारा जान बुझकर सभी बातें नहीं बताई गई है। जिसके कारण भी संदेह उत्पन होता है । वास्तव में उसी संस्था में पदस्थ शिक्षिका से पीड़िताओं का कथन लिया जाना उचित नहीं था। जो गंभीर लापरवाही है । जिसके कारण किसी अन्य संस्था में पदस्थ द्विभाषीय शिक्षिका के माध्यम से पीड़िताओं का कथन लिया जाना उचित होगा। जिससे घटना की वास्तविकता सामने आ सकती है। परिजन ने कहा कि संस्था इस घटना के पश्चात् पुनः पुरूष कर्मचारियों को पदस्थ किया गया है, जो उचित नहीं हैं। हमें यह भी ज्ञात हुआ है कि आरोपी राजेश चौहान पूर्व में ही बालत्कार जैसे गंभीर आरोप के प्रकरण में विचाराधीन है उसके बाद भी बालिकाओं के संस्था में केयरटेकर के पद पर कैसे पदस्थ किया गया । यह भी जांच का विषय है। इसके अलावा और कई भी और भी गंभीर बातें उस घटना से प्रकाश में आ रही है । जिसके संबंध में गंभीरता पूर्वक जांच किया जाना आवश्यक है । पर जिला प्रशासन के द्वारा इस संबंध में चूंकि स्वयं कर्मचारी एवं अधिकारी जांच के दायरे में आएंगे, इसलिए इस मामले को समाप्त कर दिया गया है। इस संबंध में दिनांक 24.01.2022 को कलेक्टर जशपुर को शिकायत की गई थी, पर आज तक कोई जांच नहीं की गई है। प्रकरण में दो पीड़िता उरांव जनजाति की जिसके कारण अनुसूचित जाति / जनजाति अधिनियम के तहत अपराध भी दर्ज किए गए हैं। किन्तु पीड़िताओं बालिकाओं को किसी तरह की कोई राहत राशि अथवा मुआवजा भी नहीं दिया गया था। पर 1 फरवरी को धरना प्रदर्शन की सूचना कलेक्टर को देने के बाद आनन – फानन में दिनांक 4 फरवरी को 1,50000 / – प्रति का चेक काटकर 6 फरवरी को जबरन चार पीड़िताओं को दिया गया। किन्तु दो पीड़िताओं को कोई राहत राशि आज दिनांक तक नहीं दी गयी है। परिजन ने मांग की है कि पूरे मामले की जांच राष्ट्रीय एजेंसी से कराई जाए, जिससे दिव्यांग बच्चियों को न्याय मिल सके।