Jashpur
*बांकी नदी के उद्गम पर सजता है अनोखा नाग दरबार,मानव रूप में होती है नागदेव की पूजा*
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2 years agoon
जशपुर नगर। नाग पंचमी के दिन अगर आप जशपुर में है तो शहर के समीप स्थित ग्राम पंचायत सिटोंगा जरूर जाएं। यहां आपको नाग देवता का अनोखा नाग दरबार सजा हुआ नजर आएगा। हाथों में दूध से भरा हुआ लोटा और पूजा की थाली लेकर गांव और शहर से श्रद्धालुओ की भीड़ नजर आएगी। यहां,इंसानों को नाग नागिन की तरह झूमते हुए देख कर आप चौकेंगे जरूर। लेकिन,प्रकृति की पूजा की इस अनोखी परम्परा की पृष्ठभूमि को आप जानेंगे तो श्रद्धा से आपका सिर भी नाग देव और जीवन दायनी बांकी नदी के समक्ष जरूर झुकेगा। वास्तव में,यह अनोखा नाग दरबार बांकी और श्री नामक भाई बहन के स्नेह का प्रतीक है। ये दोनों भाई बहन,सौतेली माँ की क्रूर व्यवहार से पीड़ित थी। मान्यता के अनुसार एक बार भाई बहन ने भूख से व्याकुल हो कर,अनजाने में ही खेत मे पड़े हुए सांप के अंडे को खा लिया और सांप के रूप में परिवर्तित हो गए। सांप बनने के बाद भाई श्री और बहन बांकी अलग अलग दिशा में चले गए। दोनों के चलने के निशान से बांकी और श्री नदी का उद्गम हुआ।
आइए,बांकी का गौरव लौटाएं
प्रकृति की पूजा सनातन धर्म का अभिन्न अंग है। पूर्वजो ने इस पूजा के माध्यम से लोगो प्रकृति से जोड़े रखा है,ताकि भौतिक विकास के अंधे दौड़ में हम प्रकृति से न कट जाएं।नाग देव बांकी के अनूठे उपहार बांकी नदी को उसका पुरातन पहचान और गौरव लौटाने के लिए हम सबने मिल कर प्रयास किया है। नागपंचमी के शुभ अवसर पर हम सब मिलकर ये प्रण ले कि शहर की जीवनदायनी बांकी नदी के पुनर्जीवन का काम यूं ही आगे बढ़ते रहेगा। ये रुकेगा नहीं। ये जनआंदोलन,जशपुर जिला और छत्तीसगढ़ के साथ पूरे देश के लिये,प्रकृति और जनता के बीच के अनोखे रिश्ते का उदाहरण बनेगा।