*Watch Exclusive Video :- अद्भुत, सत्य..आंखों देखी, चातुर्मास के लिए जशपुर पधारे मुनिश्री 108 सुयश सागर जी महाराज ने किया केशलोचन, कठिन तपस्या एवं व्रत रखकर जीवन को संयम से जीने का दे रहे संदेश, चातुर्मास में दो मुनिश्री के आगमन पर भक्तिरस में डूबे जैन अनुयायी, उस्तरा या कैंची नहीं बल्कि हाथ से करते हैं केशलोचन…. देखिये वीडियो ग्राउंड रिपोर्ट……*

 

जशपुरनगर।( विश्वबंधु अनिकेत) चातुर्मास के लिए जशपुरनगर पधारे जैन मुनि द्वय मुनिश्री 108 सुयश सागर जी महाराज एंव मुनिश्री 108 सद्भाव सागर जी महाराज जशपुरांचल में निवास करने के दौरान कठिन तपस्या एवं व्रत रखकर जीवन को संयम से जीने का संदेश दे रहे हैं। बुधवार सुबह मुनिश्री 108 सुयश सागर जी महाराज ने केश लोचन किया। जशपुर स्थित श्री दिगंबर जैन मंदिर में मुनि सुयश सागर ने केश लोचन करने के नियमों का पालन किया। अपने सिर पर राख लगाकर हाथों से खींच-खींचकर बालों को उखाड़ा। केश लोचन के दौरान कुछ भी खाने-पीने की मनाही होने की परंपरा का पालन करते हुए निर्जला व्रत रखा।

IMG 20210929 201959
जैन समाज के प्रतिनिधि डिम्पल जैन ने बताया कि दीक्षा उपरांत जब मुनिगणों के बाल बढ़ते हैं तो उन्हें उस्तरा या कैंची से नहीं काटा जाता। मजबूत इच्छा शक्ति के साथ मुनिश्री स्वयं केशलोच करते हैं। केशलोच करते वक्त मुनिश्री अपने सिर और दाढ़ी पर सूखी राख लगाते हैं और बालों को हाथ से खींचते हैं। मुनिश्री ने हाथों से अपने बालों को खींच-खींचकर लगभग डेढ़ घंटे में केशलोच किया। लगभग तीन-चार माह में जब बाल बढ़ जाते हैं तो फिर से केशलोच किया जाता है। केशलोच के बाद बालों को नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है। केशलोच के दिन मुनिश्री उपवास रखते हैं। इस दिन वे न आहार लेते हैं औ न ही पानी पीते हैं। केशलोचन के दौरान समाज के डिम्पल जैन, संजय जैन, अमित जैन, संदीप जैन, राजेश जैन, आनंद जैन, झुमरमल जैन सहित बड़ी संख्या में समाज के महिला, पुरुष बच्चे उपस्थित रहे व भजन, प्रार्थना करते हुए पूण्य लाभ प्राप्त किया।

IMG 20210929 202033

जशपुरनगर में चातुर्मास पर आए मुनिश्री 108 सुयश सागर जी महाराज, मुनिश्री 108 सद्भाव सागर जी महाराज के सान्निध्य में जैन अनुयायी खुद को सौभाग्यशाली मानते हुए भक्ति रस में डूबे हुए हैं और सुबह, दोपहर, शाम में प्रवचन, आरती तथा ज्ञान प्राप्त करने में लीन हैं। सभी अनुयायी बढ़चढ़कर हर एक कार्यक्रम में सहभागी बन रहे हैं।मुनिगण सादगीपूर्ण जीवन जीकर औरों को प्रेरित कर रहे हैं कि धर्म के मार्ग पर चलना कठिन अवश्य है, लेकिन यदि संकल्प लेकर भक्तिभाव से जीवन जिया जाए तो जीवन में शांति आएगी और मोक्ष के द्वार खुलेंगे।

क्या है केश लोचन
शरीर का आकर्षण समाप्त करने के लिए केश लोचन किया जाता है। यह एक तप है जिसे जैन धर्म में सहज भाव से स्वीकार किया जाता है। जैन साधु और साध्वी दीक्षा लेने के बाद साल में एक या दो बार खुद के शरीर के केश लोचन (उखाड़ते) करते हैं। केश लोचन के पहले साधु -साध्वी शरीर को राख से रगड़ते हैं, फिर गुच्छों में शरीर के बालों का लोचन करते हैं।*

-->