*watch video:- राजकीय सम्मान के साथ तिरंगे में लिपटे युध्दवीर, गार्ड ऑफ ऑनर के साथ अंत्येष्टि, पंचतत्व में विलीन हुए युद्धवीर, नम आंखों से प्रकृति ने भी दी विदाई, शौर्य प्रताप ने दी मुखाग्नि, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल, मंत्री अमरजीत, बृजमोहन अग्रवाल सहित प्रदेश भर से दिग्गज नेता हुए शामिल, अमर रहें युध्दवीर और जय जूदेव के जयकारों से गुंजा नगर, हजारों की संख्या में दूर दूर से अंतिम यात्रा में साक्षी बने चाहने वाले….*

जशपुरनगर। दिवंगत युद्धवीर सिंह जूदेव जशपुर के बाकी नदी स्थित मुक्तिधाम में पंचतत्व में विलीन हो गए। राज्य शासन के द्वारा राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किये जाने आदेश जारी किया गया था, जिसके अनुक्रम में राजकीय सम्मान के साथ दिवंगत युध्दवीर सिंह जूदेव का अंतिम संस्कार आचार्यों के द्वारा वैदिक रीति से मंत्रोचार के साथ किया गया। इससे पहले सुरक्षा बल के जवानों द्वारा युध्दवीर को गार्ड ऑफ ऑनर देते हुए सलामी दी गई। जिसके बाद प्रदेश भर से आये दिग्गज नेताओं सहित कलेक्टर जशपुर महादेव कावरे, एसपी विजय अग्रवाल व अन्य अधिकारी जन प्रतिनिधियों ने पुष्प चढाये। इसके बाद अग्नि संस्कार किया गया। दिवंगत शत्रुंजय प्रताप सिंह जूदेव के बेटे और युद्धवीर के भतीजे शौर्य प्रताप सिंह जूदेव ने युद्धवीर को मुखाग्नि दी।
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दिवंगत युद्धवीर सिंह जूदेव की अंतिम यात्रा विजय विहार से लगभग 11:30 बजे निकली। प्रबल प्रताप सिंह जूदेव, शौर्य प्रताप सिंह जूदेव सहित अन्य परिजनों ने सबसे पहले कांधा दिया। लगभग 500 मीटर की दूरी तक अर्थी में कंधा देने के बाद सुसज्जित वाहन में दिवंगत युद्धवीर के पार्थिव शरीर को रखा गया जिसके बाद यात्रा मुक्तिधाम के लिए जसपुर के विभिन्न रास्तों से होते हुए निकली। अंतिम विदाई के समय रणविजय सिंह जूदेव, विक्रमादित्य सिंह जूदेव प्रबल प्रताप सिंह जूदेव,नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष विष्णु देव साय, मंत्री अमरजीत भगत, पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, पूर्व गृह मंत्री ननकी राम कंवर, नंदकुमार साय, सांसद गोमती साय, संसदीय सचिव यूडी मिंज, विधायक विनय भगत, जिपं अध्यक्ष रायमुनि भगत, गणेश राम भगत, रामप्रताप सिंह, ओपी चौधरी सहित हजारों की संख्या में चाहने वाले जुटे।
लगभग 1 घंटे के बाद विजय विहार, बांकी टोली से भागलपुर चौक, जय स्तंभ, महाराजा चौक होते हुए अंतिम यात्रा मुक्तिधाम पहुंची। इस दौरान आसमान में बादल भी छाए और रिमझिम बरसात भी हुई जैसे युद्धवीर की विदाई में आसमान भी रो पड़ा हो लेकिन अंतिम संस्कार अग्नि संस्कार के ठीक पहले बारिश भी थम गया और अंतिम संस्कार की प्रक्रिया वैदिक रीति से पूर्ण की गई।

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